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आज फिर धुल उठी और दीवार गिर रही थी पुराणी बचपन की यादे फिल धुल धूसरित हो रही थी १० साल पहले जब पुराने मकान को बनाया था तो लगा था किसी जहन्नुम से निकल रहे है पर आज जब उसका बाकि हिस्सा गिर तो लगा आज बचपन चला गया और उसके साथ पुराने दिन पुराणी यादें भे धूमिल हो गयी अब उस मन की चिरिया को कांक्रीते के पिंजरे में रहना पड़ेगा आज बचपन हवा में उड़ता और आने वाला समय पिंजरे मैं कैद दीख रहा है हए रे मेरे बचपन का वो घर —
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